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एक अप्रैल से लागू होगा ई वे बिल, यहां समझिए क्या है और क्या होंगे इसके फायदे
Advertisement माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए एक अप्रैल से ई-वे बिल अनिवार्य हो गया है। समझिए क्या है ये और क्या हैं फायदे। Advertisement पूरे देश में एक फरवरी को लागू हुई ई-वे बिल की व्यवस्था कुछ ही घंटों में धड़ाम बोल गई थी। गुड्स एवं सर्विसेस टैक्स विभाग […]
माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए एक अप्रैल से ई-वे बिल अनिवार्य हो गया है। समझिए क्या है ये और क्या हैं फायदे।
पूरे देश में एक फरवरी को लागू हुई ई-वे बिल की व्यवस्था कुछ ही घंटों में धड़ाम बोल गई थी। गुड्स एवं सर्विसेस टैक्स विभाग का दावा है कि अब दिक्कतों को दूर करने के बाद एक अप्रैल से फिर से ई-वे बिल को लागू किया जा रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि हरियाणा से दूसरे राज्य में माल ले जाने और दूसरे राज्यों से हरियाणा में माल आने पर ही ई-वे बिल लागू होगा। राज्य के अंदर माल की आवाजाही में ई-वे बिल को बाद में लागू किया जाएगा।
हालांकि व्यापारियों की ई-वे बिल को लेकर चली आ रही दिक्कतें अभी भी दूर नहीं हुई हैं, लेकिन विभाग का कहना है कि पहले के मुकाबले व्यापारियों में ई-वे बिल की स्वीकार्यता बढ़ी है। जीएसटी विभाग के उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त (बिक्री कर) सुरेश कुमार बोडवाल ने बताया कि एक अप्रैल से लागू हो रहे ई-वे बिल को लेकर प्लान तैयार कर लिया गया है।
अधिकारी व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से मीटिंग करेंगे और उन्हें ई-वे बिल का उपयोग करने के बारे में फिर से जानकारी देंगे। इसके साथ ही अगर किसी व्यापारी या ट्रांसपोर्टरों को ई-वे बिल संबंधी समस्या है तो विभाग में आकर अधिकारियों से भी संपर्क किया जा सकता है। गौरतलब है कि एक फरवरी को हरियाणा में इंटरस्टेट और इंटरास्टेट दोनों ही में ई-वे लागू कर दिया गया था, जबकि अन्य राज्यों में इंटरास्टेट ई-वे बिल लागू नहीं किया गया था।
यह हैं व्यापारियों की मुख्य दिक्कत
24 घंटे में सौ किलोमीटर की दूरी तय करने की बाध्यता। ई-वे जनरेट करने के सभी साधनों की जानकारी नहीं होना। कई व्यापारियों का कंप्यूटर और इंटरनेट से परिचित नहीं होना। ट्रांसपोर्टेशन वाहन बदलने के साथ ही ई-वे बिल को अपडेट करना। ट्रक खराब होने या कहीं फंस जाने पर भी ई-वे बिल को अपडेट करना। ई-वे बिल के लिए माल की कीमत महज 50 हजार रुपये ही रखा जाना।
बता दें कि अब राज्य में बाहर से माल मंगाना व भेजना ऑनलाइन ई-वे बिल से ही संभव हो पाएगा। इसमें आपूर्तिकर्ता व प्राप्त कर्ता व्यापारी के साथ ट्रांसपोर्टरों को ई-वे बिल जनरेटर करना होगा। इसमें ऑनलाइन ही सामान का कोड, जीएसटीएन नंबर, वाहन नंबर आदि जानकारी देनी होगी। टैक्स चोरी रोकने के लिए राज्य कर विभाग के अधिकारी चेक पोस्टों पर बिल और माल की चेकिंग करेंगे।
यदि कोई व्यापारी व ट्रांसपोर्टर बिना ई वे बिल के माल ट्रांसपोर्ट करता है तो उसके खिलाफ भारी जुर्माने का प्रावधान है। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) की तरफ से जारी एक बयान में बताया गया कि हर राज्य में 10 किलोमीटर अंदर प्रवेश करने वाले वाहन जिसमें 50,000 रुपये या उससे अधिक के मूल्य के सामान हैं, उसके लिए अब ई-वे बिल अनिवार्य होगा।
ई-वे बिल सिस्टम के तहत अब करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों को किसी भी टैक्स कार्यालय या चेक पोस्ट पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि ई-वे बिल इलेक्ट्रॉनिक रूप से तैयार किया जा सकता है और इसमें खुद से पैसे कट जाएंगे। बड़े उपयोगकर्ता इस ई-वे बिल की नई प्रणाली को पोर्टल पर मोबाइल ऐप, एसएमएस और ऑफलाइन टूल के जरिए उपयोग कर सकते हैं।
विभाग के एक आला अफसर ने बताया कि इससे अभी स्थिति यह थी कि कारोबारी अपने माले की कंसाइनमेंट राज्य के भीतर या राज्य से बाहर भेजता है, तो कई बार केंद्रीय व राज्य सरकारों के अधीनस्थ सेल्स टेक्स, एक्साइज टैक्स इत्यादि विभाग के अफसर व निरीक्षक रोक लेते थे। कई-कई घंटों माल से लदे ये वाहन राज व राष्ट्रीय मार्गों के किनारे सड़कों पर बिना वजह अफसर व निरीक्षक की नजरबंदी में रहते थे।
अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि अब अगर अफसर ने माल लदे वाहन को आधे घंटे से ज्यादा रोका तो उसे जवाब देना होगा। अफसर को ऑनलाइन डिटेनशन आर्डर देकर बताना होगा कि उसने संबंधी कंसाइनमेंट (माल से लदा वाहन) क्यों रोका, उसके बाद उसने क्या दस्तावेज चेक किए, कब तक अपनी तफ्तीश जारी रखी, उस तफ्तीश का नतीजा क्या निकला, कोई अनियमितता सामने आई तो क्या उसने क्या कार्रवाई की? इस सिस्टम से कंसाइनमेंट की सारी मूवमेंट जीएसटीएन पोर्टल की निगरानी में रहेगी।
इसके अलावा यदि सप्लायर ने बिना वजह हरासमेंट के इरादे से कंसाइनमेंट रोकने की शिकायत कर दी, तो संबंधित अथारिटी के समक्ष पेश होकर अफसर व निरीक्षक को अपना जवाब देना होगा। जीएसटी के अंतर्गत रजिस्टर्ड कोई भी उद्यमी व कारोबारी 50 हजार लागत से अधिक माल को कोई सप्लाई करता है, तो वे जीएसटीएन (पोर्टल) पर जाकर अपना इलेक्ट्रानिक बिल जनरेट करेगा।
इसके बाद पोर्टल सप्लायर को एक ईबीएन (ई-वे बिल नंबर) जनरेट किया जाएगा, जिसे सप्लायर, माल प्राप्त करने वाले और ट्रांसपोर्टर से भी शेयर करेगा। जीएसटी के अंतर्गत कंसाइनमेंट के लिए 100 किमी की दूरी तक ई-वे बिलकी वैधता एक दिन, 300 किमी दूरी के लिए तीन दिन, 500 किमी के लिए पांच दिन, 1000 किमी के लिए दस दिन और 1000 किमी से अधिक के लिए 15 तक रहेगी। यानी इन दिनों के भीतर संबंधित माल गंतव्य तक हर हाल में पहुंचना होगा।