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‘किसी ने ये नहीं सोचा कि कोई जिंदा है या नहीं…बचा लें, बस फोटो खींचने की पड़ी थी’
Advertisement लोगों में इंसानियत मर गई है। किसी ने ये नहीं सोचा कि कोई जिंदा है या नहीं, मदद कर दें जान बचा लें। बस फोटो क्लिक करने की पड़ी थी। Advertisement ये कहना था हादसे के प्रत्यक्षदर्शी टोल कंपनी कर्मचारी कुलदीप का। उसने बताया कि बस से टकराने के बाद कार पिचक गई थी। […]
लोगों में इंसानियत मर गई है। किसी ने ये नहीं सोचा कि कोई जिंदा है या नहीं, मदद कर दें जान बचा लें। बस फोटो क्लिक करने की पड़ी थी।
ये कहना था हादसे के प्रत्यक्षदर्शी टोल कंपनी कर्मचारी कुलदीप का। उसने बताया कि बस से टकराने के बाद कार पिचक गई थी। कार सवार उछलकर सड़क पर आ गिरे थे, लेकिन लोग तमाशा देखते रहे। किसी ने भी यह नहीं जांचा कि कोई जीवित है या नहीं। कुछ लोग मोबाइल से फोटो खींचने लगे। सूचना मिलने पर 10 मिनट बाद पुलिस पहुंची। पुलिस ने शवों को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज भिजवाया और कार को क्रेन की सहायता से हटवाया।
हादसे में कार के परखचे उड़ गए। भिड़ंत इतनी जोरदार थी कि कार सवार पांच लोगों की मौके पर मौत हो गई और उनकी लाशें सड़क पर बिखर गईं। एक शव की खोपड़ी के टुकड़े-टुकड़े हो गए। पांचवां शव उछलकर पुल से नीचे करीब 40 फीट दूर जाकर गिरा। हाल देखकर हर कोई सन्न था। सड़क पर हर तरफ खून बिखरा हुआ था। हादसा इतना भयंकर था कि जिसने भी देखा आंखे खुली की खुली रह गई।
हादसे के करीब एक घंटे बाद भी रोडवेज बस के ड्राइवर जगान निवासी रमेश कुमार के चेहरे पर खौफ साफ देखा जा सकता था। रमेश ने बताया कि मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा हादसा कभी नहीं देखा। अगर मेरी बस की स्पीड कुछ अधिक होती तो सवारियों की जान बचाना मुश्किल हो जाता। पता नहीं कैसे ब्रेक लगा दिए। ब्रेक लगाने के कारण मेरे घुटने और हाथ में चोटें आई हैं।
रमेश ने बताया कि कार की स्पीड इतनी थी कि फ्लाईओवर की दीवार से टकराने के बाद करीब 15 मीटर चौड़ी सड़क को पार करते हुए डिवाइडर भी पार कर गई। इसके बावजूद स्पीड कम नहीं हुई। कार टकराते देख महिलाएं और बच्चे रोने लगे। एक भी शव कार से ठीक हालत में नहीं बचा। किसी की गर्दन कट गई किसी की खोपड़ी रोड पर पड़ी दिखी।