कुरुक्षेत्र
चोरी हुए मोबाइल को तीन बच्चों ने न सिर्फ ट्रैक किया बल्कि चोरों को भी पकडऩे के लिए निकल गए

जिस मामले को कुरुक्षेत्र की पुलिस और उसकी साइबर सेल ट्रैक नहीं कर पाई, उसे बच्चों ने खेल-खेल में कर दिखाया। वैष्णवी (20), अंकुर (16) और ध्रुव (17) ने मिलकर खेल-खेल में एलएनजेपी अस्पताल से चोरी हुए अपने अंकल के मोबाइल को न केवल ट्रैक कर लोकेशन पता की, बल्कि मोबाइल प्रयोग कर रहे आरोपित को पंचकूला में अपने अंकल के साथ जाकर पकड़ भी लिया।
मोबाइल प्रयोग कर रहे व्यक्ति ने उन्हें बताया कि यह मोबाइल उसने एक व्यक्ति से खरीदा था। परिजनों को उसकी बात में सच्चाई दिखी तो उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया। वहीं पुलिस ने अब चिकित्सक के मोबाइल की लोकेशन पता लगने का दावा कर रही है, जबकि तीनों ने मिलकर उस मोबाइल को फाइंड माई डिवाइस साइट के सहारे पहले ही ढूंढ निकाला।
वैष्णवी बताती हैं कि जब भी कोई स्मार्ट फोन पंजीकृत होता है तो उसे चलाने के लिए गूगल की आइडी से अटैच किया जाता है। इसी आइडी से फाइंड माई डिवाइस पर जाकर लोकेशन देखी जा सकती है। यह साइट यहां तक बताती है कि मोबाइल प्रयोग करने वाला व्यक्ति कहां है। यानी अगर वह उस मोबाइल में कुछ भी फोटो, वीडियो या कोई साइट देखता है उसकी जानकारी भी इस साइट पर मिल जाती है।
वैष्णवी ने बताया कि अगर मोबाइल से आइएमईआई नंबर अलग नहीं किया गया तो उस मोबाइल का प्रयोग करने वाले व्यक्ति के बारे में यहां तक पता लगाया जा सकता है कि वह सबसे ज्यादा किस नंबर को प्रयोग कर रहा है। वह कहां है और पैदल है, मोटरसाइकिल पर है, कार में है या फिर बस या ट्रेन में है। उसने कितना किलोमीटर का सफर तय किया है। यह तमाम जानकारी मोबाइल के असली मालिक के पास पहुंच जाती है।
वैष्णवी ने बताया कि अगर हम उस जगह तक पहुंच भी गए हैं जहां पर मोबाइल की लोकेशन दिख रही है और वहां बहुत भीड़ है। फिर भी हम आरोपित को पहचान सकते हैं। वैष्णवी के मुताबिक आप अपने लैपटॉप पर खुले फाइंड माई डिवाइस में अलार्म का ऑप्शन चला सकते हैं। ऐसे में भीड़ में अचानक मोबाइल बजने लगेगा और आप उस व्यक्ति को पहचान सकते हैं। इतना ही नहीं अगर आपके मोबाइल में कोई महत्वपूर्ण फाइलें हैं और आप चाहते हैं कि उसे कोई खोल न पाए तो इसी के माध्यम से आप अपने लैपटॉप पर बैठे-बैठे ही मोबाइल पर पासवर्ड भी लगा सकते हैं।
डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने बताया कि 10 जनवरी को उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका मोबाइल एलएनजेपी अस्पताल से गायब हो गया है। इसके बाद उन्होंने मोबाइल को ट्रेस लगाने की अपील पुलिस को की। डॉ. शैली ने बताया कि अब तक पुलिस उन्हें केवल लोकेशन बता पाई है। जबकि उनके पड़ोस में बच्चों ने उनके मोबाइल की लोकेशन ट्रेस भी कर ली और वे उस आरोपित तक भी पहुंच गए। इसके बाद बच्चों को उन्होंने लैपटॉप के साथ कार में बैठाया और पंचकूला जाकर आरोपित को पकड़ दिया। मगर मोबाइल प्रयोग कर रहे व्यक्ति ने बताया कि उसे किसी दूसरे व्यक्ति ने यह बेच दिया है। देखने से भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हुआ इसलिए उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया।