राज्य
राम रहीम के एक इशारे से कैसे बर्बाद हो गया पूरा परिवार, 16 साल ठोकरें खा कर लड़ते रहें
Advertisement छत्रपति हत्याकांड मामले ने गुरमीत राम रहीम समेत 4 को कोर्ट ने दोषी माना है। 17 जनवरी को सभी को सजा सुनाई जाएगी। रामचंद्र का परिवार 16 साल तक कभी सिरसा कोर्ट, कभी हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट तक गया। केस में सबसे अहम किरदार रामचंद्र का बेटा अरिदनम छत्रपति था, जिसने महज 13 साल […]
छत्रपति हत्याकांड मामले ने गुरमीत राम रहीम समेत 4 को कोर्ट ने दोषी माना है। 17 जनवरी को सभी को सजा सुनाई जाएगी। रामचंद्र का परिवार 16 साल तक कभी सिरसा कोर्ट, कभी हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट तक गया। केस में सबसे अहम किरदार रामचंद्र का बेटा अरिदनम छत्रपति था, जिसने महज 13 साल की उम्र में गुरमीत राम रहीम के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद उनका संघर्ष पूरा हुआ है।
अंशुल पापा के साथ रोहतक पीजीआई था तो अरिदमन ने करवाई थी एफआईआर
पत्रकार के बड़े बेटे अंशुल छत्रपति बताते हैं कि 24 अक्टूबर 2002 को घर के बाहर उनके पिता को गोली मार दी गई। आनन-फानन में मैं उन्हें सिरसा अस्पताल लेकर गया। हालत खराब होने के कारण उन्हें रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया। मैं पापा के साथ था। मुझे पता चला कि आरोपी कुलदीप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और कुछ दिन बाद दूसरे आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
इस बीच मेरी गैरमौजूदगी में मेरे छोटे भाई अरिदमन ने गुरमीत राम रहीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। तब रोहतक में इलाज चल रहा था। इसी बीच उनके पिता की हालत बिगड़ी तो उन्हें अपोलो अस्पताल, दिल्ली भेज दिया गया। कुल 28 दिन के बाद 21 नवंबर 2002 को उनकी मौत हो गई।
छत्रपति की मौत के बाद प्रदेशभर में प्रदर्शन हुए। तत्कालीन सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने जांच के आदेश दिए। पुलिस ने राम रहीम को कहीं भी केस में नहीं दिखाया और आनन-फानन में चार्जशीट फाइल कर सिरसा कोर्ट में चालान पेश कर दिया। सिरसा कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गया। इसके बाद अंशुल ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई।
10 नवंबर 2003 को हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए और सिरसा कोर्ट के ट्रायल को रुकवा दिया। सीबीआई जांच ही कर रही थी कि राम रहीम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और इस पर स्टे ले आए। 1 साल तक स्टे रहा। अंशुल ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी और नवंबर 2004 में स्टे हट गया।
सीबीआई ने फिर जांच शुरू की। लगातार जांच चलती रही। 31 जुलाई 2007 को सीबीआई ने चार्जशीट पेश की। 2014 में सबूतों पर कोर्ट में बहस शुरू हुई। अंशुल बताते हैं कि दोनों भाइयों ने आखिरी दम तक केस लड़ने की ठान रखी थी। दूसरे लोग हमारा साथ दे रहे थे, तो हमारे पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता था।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कभी हमारे रिश्तेदारों के माध्यम से तो कभी जानने वालों के माध्यम से समझौता के दबाव बनाया गया। एक बार पंजाब के एक पूर्व मंत्री ने उन्हें समझौते का अॉफर किया। तो उनके पापा के दोस्त एक सरपंच को हरियाणा के एक पूर्व सीएम ने समझौते का दबाव बनाया। लेकिन वे कभी नहीं झुके।
अंशुल बताते हैं कि पापा की मौत के बाद काफी उतार चढ़ाव आए। हमने खुद का पेट काटकर अखबार काफी दिन तक चलाया। भाई-बहन और अपनी शादी की। इस बीच वे कर्जदार भी हो गए थे। आर्थिक उतार-चढ़ाव भी आए लेकिन पुस्तैनी जमीन ने बचाए रखा। तभी यह लड़ाई लड़ सके।
दोषी करार दिए जाने के बाद बेटे ने खुशी जताई
शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने राम रहीम समेत चार को दोषी करार दिए जाने पर बेटे अंशुल छत्रपति ने कहा कि उन्हें लंबे समय बाद न्याय मिला है। जज साहब उनके लिए भगवान बनकर आए हैं। उन्होंने सभी गवाहों और जनता का साथ देने के लिए धन्यवाद दिया। अंशुल ने कहा कि उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बाबा को देखा। उसकी दाढ़ी सफेद हो चुकी है और चेहरा ढल चुका है। बाबा ने पता नहीं कितने गलत काम किए। उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए।