राज्य
सुधार के दावे के बावजूद हरियाणा पर तेजी से बढ़ रहा कर्ज
हरियाणा की भाजपा सरकार भले ही वित्तीय सुधारों की तरफ बढऩे का लाख दावा कर रही है, लेकिन हकीकत में प्रदेश का कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन सालों में प्रदेश पर दो गुणा से अधिक कर्ज बढ़ गया है। प्रदेश के बजट की एक बड़ी राशि इस कर्ज की मूल रकम और […]
हरियाणा की भाजपा सरकार भले ही वित्तीय सुधारों की तरफ बढऩे का लाख दावा कर रही है, लेकिन हकीकत में प्रदेश का कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन सालों में प्रदेश पर दो गुणा से अधिक कर्ज बढ़ गया है। प्रदेश के बजट की एक बड़ी राशि इस कर्ज की मूल रकम और उसके ब्याज का भुगतान करने में खर्च हो रही है।
बिजली कंपनियों की हालत सुधारने के चक्कर में खुद ज्यादा कर्जदार बन बैठी सरकार
प्रदेश सरकार इस बढ़ते कर्ज से चिंतित नहीं है। उसकी अपनी सकारात्मक दलील है। सरकार का मानना है कि कर्ज लेने के लिए निर्धारित मानदंडों की लक्ष्मण रेखा को अभी तक पार नहीं किया गया है। इसलिए न तो प्रदेश के लोगों को और न ही विपक्षी दलों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
राज्य पर 1 लाख 61 हजार 159 करोड़ का कर्ज, एक साल में 20 हजार करोड़ बढ़ा
हरियाणा सरकार के नए बजट अनुमान में राज्य पर 1 लाख 61 हजार 159 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है। यह कर्ज उन 27 हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ है, जो सरकार ने उदय योजना के तहत बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए अपने ऊपर लिया था।
बिजली कंपनियों के इस कर्ज को यदि अलग कर दिया जाए तो प्रदेश पर एक लाख 35 हजार 209 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है। पिछले साल कर्ज की राशि (उदय योजना के साथ) 1 लाख 41 हजार 792 करोड़ रुपये थी। यानी एक साल के भीतर ही 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ा है।
प्रदेश की आबादी करीब ढाई करोड़ है। प्रदेश का हर व्यक्ति कर्जदार हो चुका है। अच्छी बात यह है कि प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय भी उतनी तेजी से ही बढ़ रही है, जितनी तेजी के साथ कर्ज बढ़ता जा रहा है। नए बजट अनुमान के हिसाब से प्रत्येक हरियाणवी की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 96 हजार 982 रुपये वार्षिक रहने की संभावना है।
राष्ट्रीय औसत 1 लाख 12 हजार 764 रुपये का है। पिछले साल राच्य की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 78 हजार 890 रुपये आंकी गई थी, जिसमें इस बार काफी बढ़ोतरी हो रही है। पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल 2012-13 में प्रदेश पर मात्र 50 हजार 664 करोड़ रुपये का कर्ज था। 2014-15 में जब हुड्डा सरकार सत्ता से बाहर हुई, तब यह राशि 70 हजार 931 करोड़ पर पहुंच गई थी। साढ़े तीन साल में 2018-19 के दौरान कर्ज अब 1 लाख 61 हजार 159 करोड़ रुपये पर पहुंचने के बाद विपक्ष ने सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है।
बजट की 28 फीसदी राशि का बंदोबस्त कर्ज के पैसे से
हरियाणा सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा उधार के पैसे से चल रहा है। प्रदेश सरकार कुल बजट की 27.63 फीसदी राशि का इंतजाम उधार के पैसे से करती है। नाबार्ड, केंद्र सरकार के लोन, प्रदेश विकास लोन समेत करीब आधा दर्जन रास्ते ऐसे हैं, जिनके जरिए सरकार बजट की इतनी बड़ी राशि का बंदोबस्त करती है।
बजट की 23 फीसदी राशि कर्ज और ब्याज चुकाने में हो रही खर्च
हरियाणा सरकार ने इस बार एक लाख 15 हजार 198 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है, जो कि पिछले साल के 1 लाख 2 हजार 329 करोड़ रुपये से 13.6 फीसदी अधिक है। जीएसडीपी भी आठ फीसद की दर से बढ़ोतरी के संकेत दे रही है। हैरान कर देने वाली बात है कि राज्य के कुल बजट का 23.01 फीसद हिस्सा हमें कर्ज की मूल राशि तथा उसके ब्याज का भुगतान करने में खर्च करना पड़ रहा है। 10.82 फीसद बजट कर्ज की मूल राशि चुकाने में और 12.19 फीसद बजट कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च किया जाएगा।
‘घबराने की कोई बात नहीं, हम लक्ष्मण रेखा से काफी दूर’
” किसी भी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कर्ज भी जरूरी होता है। पूर्व में प्रदेश की बीमार हो चुकी अर्थव्यवस्था में अब तेजी से सुधार हो रहा है। आठ सार्वजनिक उपक्रम घाटे से उबर कर लाभ में पहुंच गए हैंं। हर साल करीब एक हजार करोड़ रुपये की लीकेज हमने रोकी है, जो कि पिछली सरकारों में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही थी। इसी बचत से बजट की राशि बढ़ रही है। रही कर्ज की बात तो कर्ज व प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 25 फीसद की निर्धारित सीमा के अंदर रहा। यह उदय के बिना 2016-17 में 18.09 फीसद तथा उदय के साथ 22.85 फीसद था। इस साल यानी 2018-19 में यह कर्ज सीमा उदय के बिना 19.66 फीसद और उदय के साथ 23.44 फीसद अनुमानित है, जो कि 25 फीसद से कम है।
– कैप्टन अभिमन्यु, वित्त मंत्री,