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105 साल के बुजुर्ग ने आखिरी इच्छा पूरी होने पर ही ली अंतिम सांस, जाते-जाते समाज को दे गए सीख

समाज की सेवा करने वाले अपनी अंतिम सांस तक समाज को किसी ना किसी रूप में अपना योगदान देने की इच्छा रखते हैं। ऐसे ही एक झारखंड के 105 वर्षीय समाजसेवी को जब लगा कि वो अब इस दुनिया से सिधारने वाले हैं तो उन्होंने तुरंत अपने परिजनों से कहा कि पंचायत चुनाव में वोट डालना उनकी अंतिम इच्छा है।
जिसके बाद परिवार वाले ग्राम पंचायत चुनाव के मतदान केंद्र पर उन्हें ले गए और वोट डलवाया। आपको बता दें कि वोट डालने के बाद घर आते ही आधे घंटे के अंदर उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आगे आपको बताएंगे कि उन्होंने क्यों जताई ऐसी अंतिम इच्छा।
अंतिम इच्छा पूरी होते ही मौत
झारखंड में हजारीबाग की पंचायत बेलाही के ग्राम परतापुर निवासी वरण साहू (105) अपने अंतिम समय में वोट देकर इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा ले लिया। इस संबंध में जानकारी देते हुए समाजसेवी गजाधर प्रसाद ने बताया कि वरण साहू ने अपनी जिंदगी की आखिरी इच्छा पूरी होने के आधे घंटे बाद घर पर दम तोड़ दिया।
एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाने के लिए अपनी जिंदगी की अंतिम सांस से पहले वरुण साहू ने पंचायत चुनाव में वोट किया। इसके बाद वो घर आए और अपनी अंतिम सांस ली। उन्होंने घरवालों से पहले ही कह दिया था कि उनकी आखिरी इच्छा वोट देने की है। उनका मानना था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक वोट की काफी कीमत होती है और व्यक्ति को इसका इस्तेमाल समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए करना चाहिए। सभी लोग उनके इस जज्बे को नमन कर रहे हैं।
वोट डालने पर खुद को सौभाग्यशाली बताया
बेलाही पंचायत की बूथ संख्या 256 से वोट देकर वापस घर लौटने के बाद 105 साल के बुजुर्ग वरुण साहू ने दोपहर 3:20 बजे अपनी अंतिम सांस ली। मौत से पहले उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि इस उम्र में भी मैं लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पाया। जिंदगी के अंतिम पलों में वरुण साहू ने मतदान कर लोगों के बीच मिसाल काम कर दी।
वरुण अपने पीछे दो बेटों सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। इनके दोनों बेटों का मुंबई में सब्जी का कारोबार है। वरुण साहू ने अपने घर में कहा था कि मेरी अंतिम इच्छा है कि मैं वोट देने जाऊं। इसके बाद उनकी जिद के आगे घरवाले झुक गए और कार पर ले जाकर वोटिंग कराई गई।
बीमारी के बाद जज्बा नहीं हुआ कम
लोकतंत्र को लेकर वरुण की जिंदादिली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो अर्से से बीमार चल रहे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी आखिरी इच्छा को पूरा करने के बाद ही दम तोड़ा। शनिवार की सुबह से ही वरुण वोट देने की जिद पर अड़े थे। इस दौरान दोनों बेटे भी उनके पास थे। आखिर में उनकी जिद को देखते हुए वरुण को दोपहर 2:45 बजे मतदान केंद्र पर ले जाया गया।
इस दौरान उन्होंने कार में बैठकर ही वोट डाला। इसके बाद वो घर लौटे और आधे घंटे के दौरान ही उन्होंने संसार को अलविदा कह दिया। वरुण साहू अपना पूरा जीवन समाज के लोगों से मिलजुल कर रहे और समाज के हित के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करते रहते थे।