पानीपत
पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से बढ़ी ठंड, जानिए आगे कैसा रहेगा मौसम का हाल

पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से बढ़ी ठंड, जानिए आगे कैसा रहेगा मौसम का हाल
पहाड़ों में हो रही बर्फबारी और मैदानी क्षेत्र में हुई बरसात व ओलावृष्टि के कारण इस बार नवंबर में ही ठंड प्रचंड हो गई है। जिसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। बुधवार सुबह ही मौसम का ऐसा नजारा देखने को मिला जैसे दिसंबर के अंतिम सप्ताह या जनवरी में देखने को मिलता है। बादलों से ने आसमान को इस प्रकार से कवर किया हुआ था कि दिन भर सूर्य देव के दर्शन नहीं हो पाए। दिन में भी ठंड इतनी देखने को मिली कि लोग कई अलावा का सहारा लेने को लोग विवश हो गए। इस बीच कुछ देर के लिए चंद बूंदें भी बरसीं।
बुधवार को अधिकतम तापमान 22.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह के समय नमी की मात्रा 98 फीसदी दर्ज की गई जो शाम के समय घटकर 78 फीसदी रह गई। हवा 2.8 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहेगा। लेकिन ठंड और बढ़ेगी
अब दिन के तापमान में भी आएगी गिरावट
मौसम विभाग की मानें तो न्यूनतम के बाद अब अधिकतम तापमान में भी गिरावट संभव है। नवंबर अंतिम सप्ताह में अधिकतम तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी। यानि अभी तक रातें ठंडी थी, लेकिन अब दिन में भी ठंड का अहसास ज्यादा देखने को मिलेगा।
नवंबर माह में किस वर्ष कितना तापमान किया गया दर्ज
वर्ष न्यूनतम तापमान
2009 5.1 डिग्री सेल्सियस
2010 7.0
2011 7.4
2012 6.8
2013 6.6
2014 6.5
2015 9.0
2016 8.2
2017 6.2
2018 8.6
2019 7.8
25 नवंबर 2020 10.5
नोट : नोट यह आंकड़े मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए हैं। नवंबर 2020 में न्यूनतम तापमान 7.1 डिग्री सेल्यिसस तक पहुंच गया था।
आगे कैसा रहेगा मौसम का हाल
मौसम विभाग के मुताबिक क्षेत्र में बरसात की संभावना नहीं है। लेकिन ठंड जरूर बढ़ेगी। न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट आएगी। अधिकतम तापमान भी गिरेगा। एक दिसंबर से शीत लहर का प्रकोप शुरू हो जाएगा।
फसल पर क्या असर
कृषि एवं कल्याण विभाग के पूर्व तकनीकी अधिकारी डा. एसपी तोमर ने बताया कि जिन किसानों ने अक्टूबर में गेहूं की बुआई की थी, उन फसलों के लिए यह मौसम बहुत अच्छा है। ठंड गेहूं की फसल के लिए रामबाण होती है। इस मौसम में गेहूं के पौधे की अच्छी ग्रोथ होती है और उसका उत्पादन पर भी अच्छा प्रभाव रहता है।
Source : Jagran