पानीपत
नेट बंदी और किसान आंदोलन से पानीपत को 300 करोड़ का झटका – बड़ा नुक़सान

नेट बंदी और किसान आंदोलन से पानीपत को 300 करोड़ का झटका – बड़ा नुक़सान
किसान आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने से पानीपत कंबल व शाल कारोबारियों को 300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। पीक सीजन के दौरान आंदोलन होने के कारण अन्य प्रदेशों से ग्राहक कम आ सके। कंबल बाजार सूना पड़ा है। कंबल सीजन में धागे के दामों में 40 रुपये किलो तक की तेजी दर्ज की गई।
सीजन की शुरुआत में अच्छी मांग निकलने के कारण कंबल के दाम भी 50-60 रुपये किलो तक बढ़ गए। मिंक व पोलर कंबल उद्योग चलाने के लिए महंगे दामों में धागे की खरीद की गई, लेकिन नवंबर और दिसंबर में पीक सीजन में किसानों के आंदोलन के कारण तैयार माल नहीं बिक पाया। कंबल के दाम 210 से टूटकर 150-55 रुपये प्रति किलो पर आ गए। किसान आंदोलन से बाजार अभी तक उबरा नहीं था, अब नेटवर्क बंद होने से कारोबारी अलग से फंस गए। वाट््सएप के माध्यम से कंबल शाल, चदर के डिजाइन भेजे जा रहे थे। नेटवर्क बंद होने से न तो ई-वे बिल बन पा रहे हैं और नए आर्डर भी बुक नहीं हो रहे हैं।

फेरी वाला ग्राहक नहीं आया : अशोक नारंग
कंबल-शाल व्यवसायी अशोक नारंग ने बताया कि फेरी वाला ग्राहक बहुत आता था। सस्ती रेंज का माल खरीदकर ले जाता था। किसान आंदोलन के चलते इस बार फेरी वाले नहीं आ पाए। मध्यप्रदेश के बिलासपुर से यहां एक फेरी वाला आया। उसने बताया कि दिल्ली से पानीपत आने में 1700 रुपये टैक्सी किराया लगा। वह सीजन में चार पांच बार आता था। दोबारा वह नहीं आया। हजारों फेरी लगाने वाले ग्राहक इस बार नहीं पहुंचे।
300 करोड़ से अधिक का नुकसान : काकू बंसल
कंबल कारोबारी काकू बंसल ने बताया कि किसान आंदोलन के कारण कारोबारियों को 300 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा। सीजन ठप रहा। वर्तमान में लोकल ग्राहकी थोड़ी बहुत चल रही है। दिन में खाली बैठकर घर लौट रहे हैं। पहली बार बाजार की ऐसी हालात हुई है। माल का स्टाक लगा हुआ है। रास्ते बंद होने के कारण ट्रांसपोर्टर भी देरी से माल भुगता रहे हैं। देरी से माल जाने के कारण भी मांग प्रभावित हुई है।
किसान आंदोलन की मार से नहीं उबर पाया बाजार : नवीन बंसल
मिंक कंबल मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रधान नवीन बंसल ने बताया कि किसान आंदोलन की मार से कंबल शाल कारोबार नहीं उबर पाया। धागे के भाव लगातार बढ़ते गए। कंबल की डिमांड न होने के कारण भाव गिरते चले गए। नेटवर्क बंद होने कारण आउटर में लगी यूनिटों में ई-वे बिल बनाने में परेशानी आ रही है। आउटर में चिप से ही नेटवर्क का काम चल रहा था।
कंबल उद्योग की मांग 40 फीसद ग्रीन एरिया के लिए छोडऩे की शर्त वापस हो
कंबल कारोबारी नवीन बंसल ने बताया कि हाल ही में फरीदाबाद, गुरुग्राम, पानीपत में ग्रीङ्क्षनग के लिए 40 फीसद जमीन खाली छोडऩे की शर्त लगा दी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के इस निर्णय में पानीपत को बाहर किया जाए। फरीदाबाद, गुरुग्राम तो हाई पोटेंशियल जोन में शामिल हैं। महंगी जमीन होने के कारण पानीपत के कारोबारी इस शर्त को पूरा करने में असमर्थ हैं।