पानीपत
पार्क घोटाले में अफसरों-ठेकेदारों को बचाने के रास्ते निकाले जा रहे

पार्क घोटाले में अफसरों-ठेकेदारों को बचाने के रास्ते निकाले जा रहे
किशनपुरा पार्क में कथित घोटाले की जांच हो रही है। महीनों हो चुके हैं। अब तक जांच खत्म ही नहीं हो रही। अब तो हालात ये है कि इस जांच के माध्यम से अफसरों और ठेकेदारों को बचाने के लिए रास्ते निकाले जाने लगे हैं। वार्ड 15 की पार्षद सुमन के पति अशोक छाबड़ा हैरान हैं कि ऐसा कितना बड़ा मामला हो गया कि जांच पर जांच ही हो रही है। रिपोर्ट नहीं सौंपी जा रही।सीटीएम से लेकर एक्सईएन तक उनसे बात कर चुके हैं। उनकी बातों से लग रहा है कि मामले को दबाने का प्रयास शुरू हो गया है। मुझे एक बार भी नहीं बुलाया
अशोक छाबड़ा ने बताया कि जांच कर रहे एक्सईएन राजेश कौशिक ने पार्क का दौरा किया था। उन्होंने शिकायत की हुई है। उन्हें मौके पर बुलाया ही नहीं गया। जब उनसे कहा कि मैंने शिकायत दी है, मुझे तो बुलाओ। मेरी भी तो बात सुनो। अब कह रहे हैं कि मंगलवार को आपको बुलाएंगे। इस तरह बचाने की कोशिश
जांच के दौरान अब कहा जा रहा है कि ठेकेदार ने जितने का काम किया था, उसकी पेमेंट कर दी गई है। वर्क आर्डर के अनुसार पूरा काम नहीं हुआ। इसलिए पूरी पेमेंट भी नहीं दी गई। ये मामला भ्रष्टाचार का नहीं बनता है। छाबड़ा का सवाल- वर्क आर्डर अनुसार काम क्यों नहीं
अशोक छाबड़ा का कहना है कि पार्क के लिए एक करोड़ रुपये का वर्क आर्डर जारी किया गया। उन्हें इस बात से मतलब नहीं है कि काम अनुसार पेमेंट हुआ। जब वर्क आर्डर दे दिया, तो उसी अनुसार काम भी तो होना चाहिए। ये कहां का नियम है कि लाभ वाले हिस्से का काम किया, जहां खर्चा होना था, उस हिस्से का काम नहीं किया। तीन झूले क्यों लगवा दिए
बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि अगर कोई घोटाला था ही नहीं तो मामला उठने के बाद एक साल बाद ही तीन झूले क्यों लगा दिए गए। अगर ठेकेदार या अफसरों ने भ्रष्टाचान नहीं किया था तो पार्क में क्यों झूले लगवाने पहुंच गए। दरअसल, नीचे से ऊपर तक, सभी खुद को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। विधायक से लेकर सीएम तक जाएंगे
वार्ड की पार्षद सुमन का कहना है कि उन्होंने विधायक प्रमोद विज को इस मामले से अवगत कराया था। उन्होंने इस मामले को चंडीगढ़ तक पहुंचाया। इसके बावजूद इतनी धीमी जांच हो रही है। अफसरों को बचाने का प्रयास हो रहा है। वह सीएम मनोहरलाल तक अपनी बात पहुंचाएंगे। घोटाले करने वालों की पोल खोलेंगे। तीन बार पेमेंट हुई, दो बार दिखा रहे
अशोक छाबड़ा ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि जांच के दौरान दो बार पेमेंट होना दिखाया गया है। जबकि उनके पास सुबूत हैं कि तीन बार पेमेंट की गई है। ऐसी क्या वजह है कि जांच को इतना लंबा लटकाया जा रहा है। जांच कर रहे जनस्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन राजेश कौशिक से बात करने का कई बार प्रयास किया। उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद पूरे मामले के लिए जांच टीम गठित की गई। वार्ड के लोगों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि रेलवे लाइन के पास पार्क बनने से उन्हें सैर करने, बच्चों के खेलने के लिए जगह मिल जाएगी। पर ऐसा नहीं हो सका। जनता का पैसा खर्च हो गया, हालात तो वही के वही हैं।
Source : Jagran