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10 साल पुरानी डीज़ल गाड़ियों के राहत वाली ख़बर, दिल्ली सरकार का तोहफ़ा
10 साल पुरानी डीज़ल गाड़ियों के राहत वाली ख़बर, दिल्ली सरकार का तोहफ़ा
वैसे तो खबर दिल्ली वालों के लिए है, लेकिन काम आपके भी आएगी। आप दिल्ली में रहते हैं और आपके पास 10 साल पुरानी डीजल कार है तब आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। दरअसल, दिल्ली सरकार ने 10 साल पुरानी डीजल गाड़ी को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कराने का रास्ता साफ कर दिया है। यानी, आपको गाड़ी बेचने या स्क्रैप में देने की जरूरत नहीं है। डीजल कार को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कराने पर जो खर्च आएगा दिल्ली सरकार उस पर सब्सिडी भी देगी।
Delhi is now open to ICE to electric retrofitting! Vehicles if found fit can convert their diesel to electric engine, dept’ll empanel manufacturers of pure electric kit by approved testing agencies. Once empanelled this’ll enable vehicles to continue plying here beyond 10 yrs.
— Kailash Gahlot (@kgahlot) November 18, 2021
3 लाख से ज्यादा पुरानी डीजल कारें
दिल्ली में करीब 38 लाख पुरानी गाड़ियां हैं। इनमें 35 लाख पेट्रोल और 3 लाख डीजल गाड़ियां हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाद ये गाड़ियां दिल्ली की सड़कों पर नहीं चलाई जा सकतीं। NGT ने राजधानी में 10 साल या उससे पुरानी डीजल कारों और 15 साल या उससे पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। ऐसी स्थिति में दिल्ली सरकार ने डीजल गाड़ियों के सामने इलेक्ट्रिक का नया विकल्प खोल दिया है।
फिलहाल दिल्ली सरकार ने ये साफ नहीं किया है कि डीजल कार को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कराने के लिए वो कितनी सब्सिडी देगी। इसे लेकर प्लान तैयार किया जा रहा है। इस काम में 4 से 5 लाख रुपए तक का खर्च आता है, लेकिन जब इस काम को कई कंपनियां करने लगेंगी तब लागत घट सकती है।
किसी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कराने में कितना खर्च आता है? कार की रेंज कितनी होती है? पेट्रोल की तुलना में रोजाना कितना खर्च आएगा? कितने समय में पैसा वसूल हो जाएगा? इन सभी बातों के जानते हैं…
पेट्रोल और डीजल कार को इलेक्ट्रिक बनाने का काम कौन सी कंपनियां कर रही हैं?
फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करने से जुड़ी ज्यादातर कंपनियां हैदराबाद में हैं। इनमें ईट्रायो (etrio) और नॉर्थवेएमएस (northwayms) प्रमुख हैं। ये दोनों कंपनियां किसी भी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट कर देती हैं। आप वैगनआर, ऑल्टो, डिजायर, i10, स्पार्क या दूसरी कोई भी पेट्रोल या डीजल कार इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करा सकते हैं। कारों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रिक किट लगभग एक जैसी होती है। हालांकि रेंज और पावर बढ़ाने के लिए बैटरी और मोटर में फर्क आ सकता है। इन कंपनियों से आप इनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर संपर्क कर सकते हैं। ये कंपनियां इलेक्ट्रिक कार बेचती भी हैं।
फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने का खर्च और रेंज
किसी भी नॉर्मल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने के लिए मोटर, कंट्रोलर, रोलर और बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। कार में आने वाला खर्च इस बात पर डिपेंड है कि आप कितने किलोवॉट की बैटरी और कितने किलोवॉट की मोटर कार में लगवाना चाहते हैं, क्योंकि ये दोनों पार्ट कार के पावर और रेंज से जुड़े होते हैं। जैसे, करीब 20 किलोवॉट की इलेक्ट्रिक मोटर और 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी का खर्च करीब 4 लाख रुपए तक होता है। इसी तरह यदि बैटरी 22 किलोवॉट की होगी, तब इसका खर्च करीब 5 लाख रुपए तक आएगा।
कार की रेंज इस बात पर डिपेंड है कि उसमें कितने किलोवॉट की बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे कार में 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी लगाई गई है तो ये फुल चार्ज होने पर करीब 70 किमी की रेंज देगी। वहीं, 22 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी लगाई तब रेंज बढ़कर 150 किमी तक हो जाएगी। हालांकि, रेंज कम या ज्यादा होने में मोटर का रोल भी रहता है। यदि मोटर ज्यादा पावरफुल होती है तब कार की रेंज कम हो जाएगी।
अब जानिए पेट्रोल या डीजल कार को कैसे इलेक्ट्रिक कार में बदला जाता है?
जब ये कंपनियां किसी फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करती हैं तो पुराने सभी मैकेनिकल पार्ट्स को बदला जाता है। यानी कार का इंजन, फ्यूल टैंक, इंजन तक पावर पहुंचाने वाली केबल और दूसरे पार्ट्स के साथ एसी के कनेक्शन को भी चेंज किया जाता है। इन सभी पार्ट्स को इलेक्ट्रिक पार्ट्स जैसे मोटर, कंट्रोलर, रोलर, बैटरी और चार्जर से बदला जाता है। इस काम में मिनिमम 7 दिन का समय लग सकता है। सभी पार्ट्स कार के बोनट के नीचे ही फिक्स किए जाते हैं। वहीं, बैटरी की लेयर कार के चेसिस पर फिक्स की जाती है। बूट स्पेस पूरी तरह खाली रहता है। इसी तरह फ्यूल टैंक को हटाकर उसकी कैप पर चार्जिंग पॉइंट लगाया जाता है। कार के मॉडल में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता।
पेट्रोल की तुलना में इलेक्ट्रिक कार से बचत
आप अपनी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करने के लिए 5 लाख रुपए खर्च करते हैं। जिसके बाद ये 75 किमी की रेंज देती है, तब 4 साल और 8 महीने में आपके पैसे वसूल हो जाएंगे।
- मान लेते हैं आप कार से भी रोजाना 50 किमी का सफर करते हैं।
- इलेक्ट्रिक कार फुल चार्ज होने में 6 घंटे और 7 यूनिट बिजली खर्च करती है।
- 1 यूनिट बिजली की कीमत 8 रुपए है, तो सिंगल चार्ज में 56 रुपए खर्च होंगे।
- यानी 56 रुपए के खर्च में EV 75 किलोमीटर की रेंज देती है।
- यानी 2 दिन की चार्जिंग में आप कार को 3 दिन आसानी से चला पाएंगे।
- यानी महीनेभर में कार 20 बार ही चार्ज करनी होगी, जिसका खर्च 7 यूनिट x 20 दिन = 140 यूनिट होता है।
- यानी 140 यूनिट x 8 रुपए = 1120 रुपए एक महीने में खर्च होते हैं।
- इस तरह सालभर का खर्च 12 महीने x 1120 रुपए = 13440 रुपए होता है।
- अब 1 लीटर पेट्रोल में कार शहर में 15km का माइलेज देती है। 1 लीटर पेट्रोल का खर्च 101 रुपए (दिल्ली) है।
- 50km चलने के लिए 3.33 लीटर पेट्रोल लगता है। यानी 336 रुपए का पेट्रोल एक दिन में खर्च होगा।
- इस हिसाब से 1 महीने में 30 दिन x 336 रुपए = 10090 रुपए का पेट्रोल खर्च होगा।
- यानी 1 साल में 12 महीने x 10090 रुपए = 121078 रुपए का पेट्रोल खर्च होगा।
- ई-कार से पेट्रोल कार की तुलना में सालाना 1,21,078 – 13440 = 1,07,638 रुपए की बचत होगी।
- यानी 4 साल और 8 महीने में इलेक्ट्रिक कार को तैयार करने का पूरा खर्च निकल आएगा।
इलेक्ट्रिक कार 74 पैसे में एक किमी तक चलती है। पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली ये कंपनी 5 साल की वारंटी भी देती हैं। यानी आपको कार में इस्तेमाल होने वाली किट पर कोई एक्स्ट्रा खर्च नहीं करना होगा। वहीं, बैटरी पर कंपनी 5 साल की वारंटी देती है। यानी 5 साल के बाद आपको बैटरी बदलने की जरूरत होगी। वहीं, पेट्रोल या डीजल कार में आपको सालाना सर्विस का खर्च भी करना होगा। ये आपको किट और सभी पार्ट्स का वारंटी सर्टिफिकेट भी देती हैं। इसे सरकार और RTO से मंजूरी होती है।